Saturday, April 28, 2012

How Mohammediyah Built (A Short History)

मकान बनवाना आसान हें, ईट के ऊपर ईट रखना और उसके दोनों तरफ सीमेंट करना बहुत ही आसान काम हें, किन्तु ...

इस कार्य को पूरा करने हेतु लोगो को समझाना, उनके विचार जीतना, कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पैदल यात्रा कर हिमालय की चोटी पर पहुचने के कार्य से भी ज्यादा कठीन हे, मगर यह कठीन कार्य भी तामीर कमेटी ने किया| कई बार लोगों के घर जा जा कर उनको समझाना पड़ा, कई झगड़े मोलाने पड़े, कई बार लोगों से कहाँ सुनी भी करनी पड़ी, गालियां देने वाले गालियां देते रहे, मगर तामीर कमेटी के सदस्यों ने बेफिक्र होकर उन गालियों, झगड़ो को सहन करते चले गए और आखिरकार एक नयी सुबह को सब ने देखा और इस तरह मनाजिले  मोहम्मदिया के सपने को पूरा होते लोगों ने देखा|

इस पुरे काल के वातारण में कई बार अनेक किस्मों के लोगों के विचारों की उथल-पुथल होती रही| अधिकांश लोग़ जो शुरू में विरोधी थे वे ही पक्के समर्थक बन गए और जो लोग़ पहले सामाजिक कार्यों में हमेशा अपना योगदान करते आये थे वो इस पहल के विरुद्ध हो गए और आखिर तक विरोध करते रहे|

अपशब्द, गालियां और आलोचना के साथ-साथ कड़ी गर्मी, धुप, कड़ाके की सर्दी और तेज आँधियो और बरसात को भी सहन करने से तामीर कमेटी पीछे नहीं हटी | आरंभिक दिनों का किस्सा हे, जब यहाँ कोई मकान नहीं था, बहार से आये हुवे कांट्रेक्टर के निवास और सामान रखने के लिए केवल टिन (पतरो) की एक झोपड़ी बनायीं गयी थी,  चार कार्यकर्ता हमेशा की तरह यहाँ पुहचे ही थे कि अचानक तेज़ धुल भरी आंधी (चक्रवात) चली, जब उन लोगों ने भाग कर उस टिन की झोपड़ी में शरण ली तभी आंधी और तेज़ हो गई और झोपड़ी के टिन उस तेज़ आंधी में उड़ने लगे, बहार सीमेंट के गोदाम में रखी सीमेंट पूरी तरह से भीग गयी और कांट्रेक्टर के ऊपर बांस गिरने से उनके पैर कि हड्डी टूट गयी, कार्यकर्ताओं ने बड़ी मुश्किल से अपने जान बचाई और कांट्रेक्टर को सुरक्षित अस्पताल पोह्चाया| अगर ये कार्यकर्ता यही से अपनी हिम्मत हार जाते तो शायद आज हम सब इस मनाजिले मोहम्मदिया में नहीं होते, उन चार कार्यकर्ता में से शेख जाफर भाई चिखली, शेख अलीहुसैन शाकिर और फखरुद्दीन भाई चिखली (मरसी) शामिल थे|

अल्मानाजिले मोहम्मदिया में रचा गया सबसे पहला फंक्शन हें हिजरी 1402 में सय्यदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहेब (त.उ.श.) की सालगिरह जिसे सभी लोगों ने बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया | सय्येदी इब्राहीम भाईसाहब कि अगवाही में सारे फंक्शन हुए और शानदार जुलुस निकाला गया, इस जुलुस में बेंड बाजे और आतिशबाजी के साथ कई तोहफे भी बाटें गए और सब को शरबत पेश किया गया, इस दिन अल्मानाजिले मोहम्मेदिया में कुल मकानों कि संख्या 49 थी और उस दिन लगभग सभी घरों का मुहरत हुआ|
उन दिनों भी विरोधी संगठन अपनी पूरी कोशिश करते रहे कि लोग़ अल्मानाजिले मोहम्मदिया आने से रुक जाये मगर यह नहीं हो पाया और उनको अपनी मुह की खानी पड़ी और सबसे अंत में ही सही मगर उनको अल्मानाजिले  मोहम्मदिया आना ही पडा |

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Narrated by:  Marhum Ibrahim bhai Chikhly